प्रवासियों के लिए श्रमिक विशेष ट्रेनें, जानें- यात्रा के नियम, किसे मिलेगी अनुमति

कोरोना वायरस की महामारी से लागू देशव्यापी लाकडाउन में डेढ़ महीने से विभिन्न राज्यों मे फंसे प्रवासी मज़दूरों, छात्रों, पर्यटकों को निकालने के लिए रेलवे ने शुक्रवार को स्पेशल ट्रेनों को हरी झंडी दिखा दी। पहली ट्रेन शुक्रवार को सुबह हैदराबाद से झारखंड के हटिया स्टेशन के लिए चली। उसके बाद अन्य गंतव्यों के लिए अतिरिक्त पांच ट्रेनें चलीं। जिन राज्यों के लिए ट्रेनें छूटी हैं उन्हें झारखंड, बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उड़ीसा प्रमुख है।


राज्यों के बीच आपसी सहमति से रेलवे चलाएगा विशेष ट्रेन




गौरतलब है कि दो दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से सड़क मार्ग से प्रवासियों को जाने की अनुमति देने के बावजूद राज्यों की ओर से खुशी नहीं जताई गई थी। बिहार, पंजाब, महाराष्ट्र जैसे राज्यों की ओर से मांग हो रही थी कि लंबी दूरी को देखते हुए विशेष ट्रेनें चलाई जाएं। पिछले दिनों में इसे लेकर राजनीति भी शुरू हो गई थी।



इसके बाद गृह मंत्रालय के जारी संशोधित दिशानिर्देशों के तहत भारतीय रेलवे ने शुक्रवार को ऐसे प्रवासी कामगारों, तीर्थयात्रियों, पर्यटकों, छात्रों और अन्य व्यक्तियों को स्थानांतरित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस के मौके पर 'श्रमिक विशेष ट्रेनें' शुरू करने का निर्णय लिया है, जो लॉकडाउन होने के कारण विभिन्न स्थानों पर फंसे हुए हैं। रेलवे के अनुसार ये विशेष ट्रेने राज्य सरकारों के अनुरोध पर तय किये गये स्थान से दूसरे स्थान तक जाएगी।


केवल स्वस्थ व्यक्ति को मिलेगी यात्रा की अनुमति


रेलवे और राज्य सरकारें इन विशेष ट्रेनों के समन्वय और सुचारू संचालन के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को नोडल अधिकारी नियुक्त करेंगी। इन ट्रेनों में सवार होने से पहले आवागमन करने वाले यात्रियों की राज्यों द्वारा जांच करना जरुरी होगा। केवल स्वस्थ पाए जाने वालों को ही यात्रा करने की अनुमति दी जाएगी। राज्य सरकारों को ऐसे लोगों के समूह बनाने के बाद ही रेल यात्रा का मौका दिया जाएगा।


यात्रा के दौरान इन नियमों का करना होगा पालन


यह भी शर्ते तय की गई हैं कि प्रत्येक यात्री को फेस मास्क लगाना अनिवार्य होगा। ऐसे यात्रियों को मूल स्टेशन पर भेजने वाले राज्यों द्वारा भोजन और पीने का पानी उपलब्ध कराया जाएगा। रेलवे लंबे रेल मार्ग की यात्रा के दौरान ही केवल एक भोजन प्रदान करेगा। जबकि गंतव्य पर पहुंचने पर उनके भोजन एवं अन्य सुविधाएं प्रदान करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।


हर कोच में 54 सीटें, पहले दिन चली छह स्पेशल ट्रेन


इन श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में लगाए गए कोच के भीतर 72 सीटों की जगह केवल 54 सीटों का प्रावधान किया गया है ताकि लोग एक दूसरे से दूरी बनाकर बैठे। जिन प्रमुख रूटों पर श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाने का फ़ैसला किया गया है, उसमें लिंगमपल्ली से हटिया, आलुवा से भुवनेश्वर, नासिक से लखनऊ, नासिक से भोपाल, जयपुर से पटना और कोटा से हटिया प्रमुख है।


छोटे शहर से स्टेशन पर लाने की जिम्मेदारी राज्य की


लेकिन अभी यह तय होना बाकी है कि किसी खास राज्य में अलग अलग स्थानों पर रह रहे प्रवासियों को एक स्थान पर लाने की जिम्मेदारी किसकी होगी। मसलन अहमदाबाद से बिहार के लिए ट्रेन चलेगी तो कच्छ में रह रहे प्रवासियों को अहमदाबाद तक कौन लेकर आएगा। महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब जैसे राज्यों में एक से ज्यादा शहरों में प्रवासियों का डेरा है। छोटे छोटे शहरों में रह रहे लोगों को स्टेशन तक लाने के लिए राज्यों को ही सहमति बनानी होगी। उतनी बड़ी संख्या में बस का इंतजाम करने के लिए राज्य कितने राजी होते हैं यह देखने की बात होगी।